Ticker

6/recent/ticker-posts

Nasir Kazmi Poetry: नासिर काज़मी की ग़ज़ल 'दिल में इक लहर सी उठी है अभी'

 

विज्ञापन
Kavya Desk 

काव्य डेस्क

nasir kazmi ghazal dil mein ik lahar si uthi hai abhi koi taza hawa chali hai abhi
दिल में इक लहर सी उठी है अभी
विज्ञापन

कोई ताज़ा हवा चली है अभी

कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोट भी नई है अभी

शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में
कोई दीवार सी गिरी है अभी

भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी

तू शरीक-ए-सुख़न नहीं है तो क्या
हम-सुख़न तेरी ख़ामुशी है अभी

याद के बे-निशाँ जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही है अभी

शहर की बे-चराग़ गलियों में
ज़िंदगी तुझ को ढूँडती है अभी

सो गए लोग उस हवेली के
एक खिड़की मगर खुली है अभी

तुम तो यारो अभी से उठ बैठे
शहर में रात जागती है अभी

वक़्त अच्छा भी आएगा 'नासिर'
ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी

Loading video
1 DAY AGO
विज्ञापन

आज के शीर्ष कविShow all

© 2017-2023 Amar Ujala Limited

Post a Comment

0 Comments