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Depression: डिप्रेशन क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण, और उपचार



What Is Depression Its Causes Symptoms Types And Treatments In Hindi
Photo:© Shutterstock (Main Image)

अवसाद या डिप्रेशन को मूड डिसऑर्डर के तौर पर क्लासीफाइड किया गया है। इसे इंसान की उदासी, नुकसान या ऐसे गुस्से के रूप में समझा जा सकता है, जिससे किसी इंसान की रोजमर्रा की गतिविधियों पर असर पड़ता है।

भारत जैसे विकासशील देशों में डिप्रेशन बेहद सामान्य समस्या है। भारतीय युवाओं में तेजी से डिप्रेशन के मामले देखने में आ रहे हैं। एक रिसर्च के अनुसार, 13 से 15 साल की उम्र के मध्य का हर 4 में से 1 किशोर डिप्रेशन का शिकार हो रहा है।

किशोरावस्था में डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है जैसे, पूरी भीड़ उन्हीं को देखकर हंस रही है। भारत में किशोरावस्था में डिप्रेशन के मामलों में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई है।  इसकी तमाम वजहें हो सकती हैं। जैसे, 

  • माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव
  • शिक्षा और रोजगार का दबाव 
  • पारिवारिक समस्याएं
  • रिलेशनशिप की समस्याएं
  • अपने लुक्स से संतुष्ट न होना
  • अकेलापन 

इत्यादि। 

वहीं सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers For Disease Control And Prevention) यानी सीडीसी (CDC) का अनुमान है कि 8.1 फीसदी अमेरिकी युवा, जिनकी उम्र 20 साल या आसपास है, वह साल 2013 से 2016 के बीच में औसतन दो हफ्ते तक डिप्रेशन की चपेट में रहे हैं। 

इसीलिए, इस आर्टिकल में मैं आपको डिप्रेशन क्या है? इसके कारण, लक्षण, प्रकार और उपचार के बारे में जानकारी दूंगा। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप डिप्रेशन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में जान जाएंगे। 

डिप्रेशन क्या है? (Depression Meaning in Hindi)

© Shutterstock

अवसाद या डिप्रेशन (Depression) का संबंध मनोविज्ञान में मन की भावनाओं से जुड़े दुखों से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम माना जाता है। अधिकतर मामलों में स्थि​ति तब ज्यादा गंभीर समझी जाती है जब इसका संबंध किसी शख्स के असफल प्रेम संबंधों से होता है।

डिप्रेशन के ज्यादातर मामलों में किसी इंसान का लगाव उसके जीवन साथी के प्रति बहुत ज्यादा होता है। उससे वियोग या बिछोह होने पर उपजने वाले डिप्रेशन में मरीज खुद को लाचार और निराश महसूस करता है।

डिप्रेशन के शिकार इंसान के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहां तक कि संबंध भी बेमानी होने लगते हैं। वह इंसान संबंधों में बेईमानी का उत्तर अपने उग्र स्वभाव, गाली गलौज व अत्यधिक शंकालु स्वभाव से देने की कोशिश करता है। डिप्रेशन के दौरान उसे सभी जगह निराशा, तनाव, अशांति और अरुचि की मौजूदगी समझ आने लगती है।

हालांकि लोगों को डिप्रेशन का अनुभव कई अलग तरीकों से हो सकता है। ये आपके रोजमर्रा के कामों को प्रभावित कर सकता है। इसकी वजह से काम करने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। ये आपके रिश्तों और कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं पर भी असर डाल सकता है। 

डिप्रेशन के कुछ मामलों में तो ये भी पाया गया है कि, समस्या बढ़कर इंसान को किसी खास पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का मरीज बना देती है। इंसान के भीतर खुद को दीन-हीन या प्रताड़ित दिखाने की प्रबल इच्छा होने लगती है। ये स्थिति अगर समय पर उपचार से ठीक न की गई तो इंसान खुद को सताया हुआ दिखाने के लिए खुद को ही नुकसान पहुंचाने की हद तक जा सकता है।

डिप्रेशन के कारण जिन बीमारियों का बुरा असर हो सकता है। उनमें शामिल हैं : 

  • आर्थराइटिस (Arthritis)
  • अस्थमा (Asthma)
  • कार्डियोवेस्क्युलर बीमारियां (Cardiovascular Disease)
  • कैंसर (Cancer)
  • डायबिटीज (Diabetes)
  • मोटापा (Obesity)

आदि। 

ये जानना भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हर किसी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं। हर कोई कभी न कभी दुखी और उदास महसूस कर सकता है। लेकिन, अगर आप लगातार दुख और निराशा का अनुभव कर रहे हैं तो, ये डिप्रेशन हो सकता है। 

डिप्रेशन को गंभीर मेडिकल समस्या माना जाता है। सही इलाज न किया जाए तो यह खतरनाक भी हो सकता है। इसके अलावा डिप्रेशन का सही ट्रीटमेंट लेने पर कुछ ही हफ्तों में इससे राहत मिलते हुए भी देखी गई है।

डिप्रेशन के लक्षण (Depression Symptoms in Hindi)

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डिप्रेशन लगातार उदास या हताश महसूस करते रहने की अवस्था है। अगर यही स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो डिप्रेशन की वजह से कई लक्षण प्रकट होने की संभावना रहती है। इन लक्षणों में से कुछ आपके मूड को प्रभावित करते हैं तो कुछ आपके शरीर को। इसके अलावा, लक्षणों में भी स्थिरता नहीं होती है, वे कभी-कभी आते हैं और फिर चले जाते हैं। 

डिप्रेशन पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर सकता है। पुरुषों में होने वाले डिप्रेशन के लक्षणों (Depression Symptoms in Hindi) में शामिल हैं :

मूड संबंधी (Mood)

  • गुस्सा (Anger)
  • आक्रामकता (Aggressiveness)
  • चिड़चिड़ापन (Irritability)
  • चिंता (Anxiousness)
  • बेचैनी (Restlessness)

भावना संंबंधी (Emotional)

  • बर्बाद होने की भावना (Feeling Empty)
  • उदास/दुख (Sad)
  • निराशा (Hopeless) 

व्यवहार संबंधी (Behavioral)

  • किसी काम में मन न लगना (Loss Of Interest) 
  • पसंदीदा काम से खुशी न मिलना (No Longer Finding Pleasure In Favorite Activities)
  • आसानी से थकान होना (Feeling Tired Easily)
  • आत्महत्या के विचार आना (Thoughts Of Suicide)
  • बहुत ज्यादा शराब पीना (Drinking Excessively)
  • ड्रग्स का इस्तेमाल करना (Using Drugs)
  • खतरनाक कामों की कोशिश करना (Engaging In High-Risk Activities)

सेक्स संबंधी (Sexual)

  • यौनेच्छा में कमी आना (Reduced Sexual Desire)
  • शीघ्रपतन की समस्या होना (Lack Of Sexual Performance)

संज्ञा संबंधी (Cognitive)

  • ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ होना (Inability To Concentrate)
  • काम पूरे करने में मुश्किल होना (Difficulty Completing Tasks)
  • बातचीत के दौरान देर से जवाब दे पाना (Delayed Responses During Conversations)

नींद संबंधी (Sleep)

  • अनिद्रा/इंसोम्निया (Insomnia)
  • नींद कम आना (Restless Sleep)
  • बहुत ज्यादा नींद आना (Excessive Sleepiness)
  • पूरी रात न सो पाना (Not Sleeping Through The Night)

शरीर संबंधी (Physical)

  • थकान (Fatigue)
  • दर्द (Pains)
  • सिरदर्द (Headache)
  • पाचन में समस्या (Digestive Problems)

डिप्रेशन के कारण (Causes Of Depression)

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डिप्रेशन के बहुत से कारण हो सकते हैं। ये कारण जैविक से लेकर हालातों की वजह से भी हो सकते हैं। 

लेकिन डिप्रेशन के सामान्य कारणों में शामिल हैं : 

1. पारिवारिक इतिहास (Family History)

आप में डिप्रेशन के विकसित होने का खतरा कहीं ज्यादा होता है अगर, आपके परिवार में किसी को डिप्रेशन की समस्या रही हो। डिप्रेशन के अलावा मूड से जुड़ा कोई अन्य डिसऑर्डर होने पर भी आपको डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।
फैमिली हिस्ट्री वाले डिप्रेशन में कई बार माता या पिता के परिवार से आने वाला डिप्रेशन इंसान की जिंदगी को बुरी तरह से प्रभावित कर देता है। अगर ये आनुवांशिक न भी हो तो इसके चांस होते हैं कि, तनावग्रस्त माहौल में पलने-बढ़ने वाले पैरेंट्स अपने बच्चों तक भी ये सारी समस्याएं ट्रांसफर कर देते हैं। भले ही ये अनजाने में क्यों न किया गया हो।

2. बचपन में सदमा लगने पर (Early Childhood Trauma) 

बचपन में घटने वाली कुछ घटनाओं का कई बार बच्चों के कोमल मन पर गहरा असर पड़ता है। कुछ घटनाओं की प्रतिक्रिया में शरीर में डर की भावना बैठ जाती है और मन थाेड़े से तनाव को झेल पाने में भी नाकाम होने लगता है।

3. दिमागी संरचना (Brain Structure)

अगर आपके दिमाग के सामने का हिस्सा कम सक्रिय है तो, आपको डिप्रेशन होने के चांस कई गुना बढ़ जाते हैं। हालांकि वैज्ञानिक अभी तक ये पता नहीं लगा सके हैं कि दिमाग में ये परिवर्तन डिप्रेशन होने के बाद होते हैं या पहले हो जाते हैं। 

4. मेडिकल कंडीशन (Medical Conditions)

कुछ खास बीमारियों के कारण आपको भी डिप्रेशन की समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। इन बीमारियों में 

  • असाध्य बीमारियां (Chronic Illness)
  • अनिद्रा/इंसोम्निया (Insomnia)
  • असहनीय दर्द (Chronic Pain)
  • ध्यान अभाव सक्रियता विकार (Attention-Deficit Hyperactivity Disorder Or ADHD)

आदि शामिल हैं।

5. ड्रग्स का सेवन (Drug Use)

अगर किसी को ड्रग्स या अल्कोहल के सेवन की लत रही है तो उसे भी डिप्रेशन होने के चांस बढ़ जाते हैं। 

डिप्रेशन के अन्य कारण (Other Causes Of Depression)

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बहुत से लोगों को कभी ये पता नहीं चल पाता है कि उन्हें होने वाले डिप्रेशन की वजह आखिर क्या है? ऐसे लोगों की संख्या करीब 30 फीसदी के आसपास है जिन्हें आंशिक रूप से डिप्रेशन की समस्या है।

इन कारणों के अलावा भी डिप्रेशन के अन्य खतरे हो सकते हैं। इनमें शामिल है : 

  • आत्मसम्मान में कमी या खुद की आलोचना करना (Low Self-Esteem Or Being Self-Critical)
  • मेंटल बीमारी का इतिहास होना (Personal History Of Mental Illness)
  • कुछ खास दवाओं के सेवन के कारण (Certain Medications)
  • तनावपूर्ण घटनाओं के कारण (Stressful Events)
  • किसी करीबी को खो देने के कारण (Loss Of A Loved One)
  • आर्थिक समस्याओं के कारण (Economic Problems)
  • तलाक की वजह से (Divorce)

ऐसे कई फैक्टर्स हैं जो डिप्रेशन की भावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा कौन इसे विकसित करता है और कौन नहीं। डिप्रेशन के कारण ज्यादातर आपके स्वास्थ्य के दूसरे कारकों से जुड़े रहते हैं। 

डिप्रेशन के प्रकार (Types Of Depression)

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डिप्रेशन को लक्षणों की गंभीरता के आधार पर कई श्रेणियों में बांटा जा सकता है। कुछ लोगों को हल्के और अस्थायी किस्म के डिप्रेशन का सामना करना पड़ता है तो, कुछ लोगों को गंभीर और लगातार तकलीफ देने वाले सिलसिलेवार डिप्रेशन का अनुभव करना पड़ता है। 

डिप्रेशन मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है : 

  1. प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार (Major Depressive Disorder) 
  2. सतत अवसादग्रस्तता विकार (Persistent Depressive Disorder)

1. प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार (Major Depressive Disorder)

मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर या प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार, डिप्रेशन का सबसे गंभीर प्रकार है। डिप्रेशन की इस किस्म में लगातार 

  • उदासी
  • निराशा 
  • नाकाबिल 

होने की भावनाएं मन में घर कर जाती हैं। ये भावनाएं कभी भी अपने आप से दूर नहीं होती हैं। 

डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक को क्लिनिक में इस बीमारी का पता लगाने के लिए मरीज के साथ कई  बार काउंसिलिंग करनी पड़ सकती है। 2 हफ्ते के अंतराल में अगर निम्नलिखित में से 5 या उससे ज्यादा लक्षण दिखने पर आपको डिप्रेशन के इस प्रकार  से प्रभावित होना माना जा सकता है।  जैसे, 

  • दिन के ज्यादातर वक्त में अवसादग्रस्त रहना (Feeling Depressed Most Of The Day)
  • रोजमर्रा के कामों में रुचि कम हो जाना (Loss Of Interest In Most Regular Activities)
  • अचानक वजन कम होना या बढ़ना (Significant Weight Loss Or Gain)
  • बहुत ज्यादा या कम नींद लेना (Sleeping Too Much Or Not Being Able To Sleep)
  • कम सोच पाना या धीमी गति से चल पाना (Slowed Thinking Or Movement)
  • दिन के ज्यादातर वक्त में थकान महसूस होना (Fatigue Or Low Energy Most Days)
  • खुद के बेकार होने या ग्लानि का अनुभव करना (Feelings Of Worthlessness Or Guilt)
  • ध्यान केंद्रित न कर पाना या दुविधा में रहना (Loss Of Concentration Or Indecisiveness)
  • लगातार मौत या आत्महत्या के बारे में सोचना (Recurring Thoughts Of Death Or Suicide)

प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार के भी कई अन्य टाइप हो सकते हैं। अमेरिकन साइकैट्रिक एसोसिएशन इसे विनिर्देशक या 'स्पेसिफायर' कहती है। इनमें शामिल हैं : 

  1. असामान्य फीचर्स (Atypical Features)
  2. चिंता की समस्या (Anxious Distress)
  3. मिश्रित फीचर्स (Mixed Features)
  4. मौसमी पैटर्न (Seasonal Patterns)
  5. उदासी के फीचर्स (Melancholic Features)
  6. मनोवैज्ञानिक फीचर्स (Psychotic Features)
  7. विचित्र मानसिक व्यवहार (Catatonia)

2. सतत अवसादग्रस्तता विकार (Persistent Depressive Disorder)

सतत अवसादग्रस्तता विकार या पर्सिसटेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Persistent Depressive Disorder) या पीडीडी (PDD) को अक्सर डिस्थीमिया (Dysthymia) भी कहा जाता है। ये हल्का, लेकिन गंभीर किस्म का डिप्रेशन है।  

डॉक्टर इस किस्म के डिप्रेशन की पहचान के लिए कम से कम मरीज के दो साल के अनुभवों का अध्ययन करते हैं। पीडीडी आपके जीवन को मेजर डिप्रेशन से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि ये ज्यादा लंबे समय तक मरीज को परेशान करता रहता है। 

पीडीडी से प्रभावित मरीजों के सामान्य लक्षणों में शामिल है : 

  • रोजमर्रा के कामों में रुचि खत्म होना (Lose Interest In Normal Daily Activities)
  • नाउम्मीद हो जाना (Feel Hopeless)
  • काम करने की क्षमता घट जाना (Lack Productivity)
  • आत्मसम्मान में कमी आना (Have Low Self-Esteem)

डिप्रेशन का सफलतापूर्वक उपचार करना संभव है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप अपने ट्रीटमेंट प्लान को अच्छे ढंग से फॉलो करें। 

डिप्रेशन का उपचार (Treatment For Depression)

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डिप्रेशन के साथ जीना काफी कठिन हो सकता है, लेकिन इसका उपचार करने से आपके जीवन की क्वालिटी सुधर सकती है। इसके लिए आप डॉक्टर से बात करके हर संभव विकल्प के बारे में बात कर सकते हैं। 

आप आसानी से किसी एक ट्रीटमेंट की मदद से लक्षण के आधार पर सफलतापूर्वक इलाज कर सकते हैं। या आप दो या दो से ज्यादा ट्रीटमेंट भी एक साथ ले सकते हैं। डिप्रेशन के इलाज में दो या उससे ज्यादा लाइफस्टाइल थेरेपी को शामिल करना सामान्य बात है। 

लेकिन कोई भी इलाज डॉक्टर की सलाह लिए बिना नहीं लेना चाहिए। इन उपचारों में शामिल हैं : 

दवाएं (Medications)

डिप्रेशन के इलाज के लिए ज्यादातर डॉक्टर एंटी डिप्रेसेंट्स (Antidepressants), एंटीएंग्जाइटी (Antianxiety), या एंटीसाइकोटिक (Antipsychotic) दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं।

डिप्रेशन के इलाज में इस्तेमाल होने वाली हर दवा के अपने फायदे और नुकसान हैं। इसीलिए इन दवाओं का सेवन कभी भी डॉक्टर की सलाह लिए बिना नहीं करना चाहिए। 

साइकोथेरेपी (Psychotherapy)

साइकोपैथ से बात करके आप निगेटिव भावनाओं को खुद से दूर रखने की स्किल्स को सीख सकते हैं। आप परिवार और ग्रुप थेरेपी सेशन में शामिल होकर भी खुद को लाभ पहुंचा सकते हैं।  

लाइट थेरेपी (Light Therapy)

सफेद रंग की रोशनी में खुद को रखने भर से आप न सिर्फ अपने मूड को अच्छा कर सकते हैं बल्कि डिप्रेशन के लक्षणों से भी राहत पा सकते हैं। ये थेरेपी आमतौर पर सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर के इलाज में इस्तेमाल की जाती है।

 इसे अब मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर विद सीजनल पैटर्न (Major Depressive Disorder With Seasonal Pattern) कहा जाता है। 

वैकल्पिक थेरेपी (Alternative Therapies)

अपने डॉक्टर से एक्युपंक्चर या दवाओं के बारे में बात कर सकते हैं। कुछ हर्बल सप्लीमेंट्स जैसे फिश ऑयल भी डिप्रेशन के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। मेरी सलाह यही है कि कोई भी सप्लीमेंट लेने या खाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।

कई बार हमारे द्वारा खाए गए सप्लीमेंट दवाओं के साथ मिलकर नकारात्मक असर दिखाते हैं। इससे कई बार डिप्रेशन ठीक होने की बजाय और गंभीर हो जाता है या फिर दवाओं के असर को कमजोर कर देता है। 

एक्सरसाइज (Exercise)

हफ्ते में 3 से 5 दिन 30 मिनट तक कसरत करने का लक्ष्य रखें। एक्सरसाइज से शरीर में एंडोरफिन्स (Endorphins) का उत्पादन बढ़ जाता है, ये वो हार्मोन हैं जो आपके मूड को ठीक रखने में मदद करते हैं।

अल्कोहल और ड्रग्स के सेवन से बचें (Avoid Alcohol And Drugs)

शराब पीना या ड्रग्स लेने से आप थोड़ी देर के लिए बेहतर महसूस कर सकते हैं। लेकिन लंबे वक्त में शरीर पर इनका निगेटिव प्रभाव ही पड़ता है। ये चीजें मिलकर आपके डिप्रेशन और एंग्जाइटी के लक्षणों को और खराब कर सकती हैं। 

न कहना भी सीखें (Learn How To Say No)

अगर आप खुद को बेचैन महसूस करेंगे तो, ये एंग्जाइटी और डिप्रेशन के लक्षणों को और ज्यादा खराब कर सकता है। अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बीच सीमाएं तय कीजिए। इससे आप कुछ ही दिन में बेहतर महसूस करना शुरू कर देंगे।

अपना ख्याल रखें (Take Care Of Yourself)

आप खुद का ख्याल रखकर भी डिप्रेशन के लक्षणों से राहत पा सकते हैं। इसमें 

  • ढेर सारी नींद
  • हेल्दी डाइट लेना
  • निगेटिव लोगों से दूर रहना
  • आनंद देने वाले कामों में हिस्सा लेना

शामिल है।

कई बार डिप्रेशन दवाओं से ठीक नहीं होता है। अगर आपके लक्षणों में सुधार नहीं दिखता है तो आपका डॉक्टर आपको दूसरे ट्रीटमेंट को अपनाने की सलाह दे सकता है। इनमें शामिल हैं

  • इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (Electroconvulsive Therapy)
  • ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक सिम्यूलेशन (Transcranial Magnetic Stimulation)

आदि।

ये दोनों थेरेपी डिप्रेशन के इलाज में बेहद कारगर हैं और आपके मूड को ठीक करने में मदद कर सकती हैं। 

निष्कर्ष (Outlook For Depression)

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डिप्रेशन अस्थायी भी हो सकता है और ये लंबे समय तक चलने वाली चुनौती भी हो सकती है। हमेशा ट्रीटमेंट से ही डिप्रेशन (Depression) पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता है। लेकिन ट्रीटमेंट से अन्य लक्षणों को कम, नियंत्रित या सुधारा जा सकता है। 

डिप्रेशन के लक्षणों के कारगर उपचार के लिए जरूरी है कि डॉक्टर की सलाह से आप दवाओं और थेरेपी के सही कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करें। अगर किसी ट्रीटमेंट से आपको लाभ नहीं मिलता है तो आप डॉक्टर की सलाह पर दूसरे ट्रीटमेंट को अपनाकर बेहतर नतीजे पा सकते हैं।

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आर्टिकल सोर्स :

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

कौन सी दवा डिप्रेशन की सबसे अच्छी दवा मानी जाती है?

आमतौर पर 'प्रौजैक' को डिप्रेशन दूर करने की सबसे आम दवा माना जाता है। यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल रिसर्च के मुताबिक अमेरिका में 12 वर्ष से ऊपर के लगभग 11 फीसदी लोग एंटी डिप्रेसेंट्स का सेवन करते हैं।

डिप्रेशन का इलाज कितने महीने तक चलता है?

अगर आप पहली बार डिप्रेशन का शिकार हुए हैं, तो आपका इलाज दो महीने तक चलता है। लेकिन फिर भी लगभग नौ महीने तक दवा लेने की सलाह दी जाती है।

क्या बिना दवाई के डिप्रेशन का इलाज संभव है?

ऐसा माना जाता है कि डिप्रेशन पर कंट्रोल पाने के लिए आपको पालतू जानवरों के साथ वक्त बिताना चाहिए, मेडिटेशन करना चाहिए, और दोस्तों के साथ वक़्त बिताना चाहिए। हांलाकि अभी भी इस पर काफी शोध चल रहा है। 

क्या किसी इंसान को जन्मजात डिप्रेशन की बीमारी हो सकती है?

डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है, जो सामान्यतः 30 से 40 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा होती है। लेकिन मेडिकल साइंस के अनुसार, यह बीमारी मनुष्य को किसी भी उम्र में हो सकती है।

क्या सोने की कमी से डिप्रेशन हो सकता है?

कम नींद कई बीमारियों को जन्म दे सकती है, जैसे- डिप्रेशन, डायबिटीज़, हृदयरोग, याददाश्त की कमी, सांस के मरीजों में अचानक बीमारी का दौरा पड़ना, मिर्गी के मरीजों का दौरा जल्दी-जल्दी आना आदि।

एक इंसान में डिप्रेशन अधिकतम कितने समय तक रह सकता है?

डिप्रेशन अधिकतम कितने समय तक रहेगा, ये आपके दवा के क्रम पर निर्भर करता है।

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