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बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पैरेंट्स और टीचर्स को जिम्मेदारियां समझना अहम क्योंकि नींव मजूबत होना बेहद जरूरी


 


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बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पैरेंट्स और टीचर्स को जिम्मेदारियां समझना अहम क्योंकि नींव मजूबत होना बेहद जरूरी

5 वर्ष पहले
बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पैरेंट्स और टीचर्स को जिम्मेदारियां समझना अहम क्योंकि नींव मजूबत होना बेहद जरूरी|देश,National - Dainik Bhaskar

लाइफस्टाइल डेस्क. कम उम्र के बच्चों के बेहतर विकास के लिए जितने जिम्मेदार माता-पिता हैं, उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षकों की भी है। आज के जमाने में शिक्षा के इस बदलते स्वरूप में एडजस्ट करने के लिए टीचर-पैरेंट्स को मिलकर काम करना होगा। पहले के वक्त में जहां 2 से लेकर 5 साल तक के बच्चे घरों में ही शुरुआती शिक्षा प्राप्त करते थे, वहां वर्तमान में प्ले स्कूल्स द्वारा यह शिक्षा प्रदान की जा रही है। इसके कारण भी हैं। एक तो माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं इसलिए वे समय नहीं निकाल पाते। दूसरा यूं कहें कि एकल परिवार का अस्तित्व बढ़ता जा रहा है, जिससे जो शिक्षा और संस्कार बच्चों को अमूमन दादा-दादी व परिवार के सदस्यों से मिलते थे वो नहीं मिल पा रहे। ऐसे में प्ले स्कूल में बच्चों को भेजने वाले माता-पिता को चाहिए, वे शिक्षकों से लगातार संपर्क में रहें। इसकी खास वजह भी है, चूंकि प्ले स्कूल में जाने वाले बच्चे उस अवस्था में होते हैं जिसमें वे चलना, बोलना और समझना सीखते हैं। मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. विनय मिश्रा से जानते हैं किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...
 

माता-पिता की जिम्मेदारियां 
अक्सर कई बार माता-पिता अपने बच्चों को प्ले स्कूल भेजकर यह सोचते हैं कि अब उनको कुछ करने की जरुरत नहीं है। वे निश्चिंत हो जाते हैं। उनकी यह सोच बिलकुल गलत है। हां, यह सही है कि, प्ले स्कूल में बच्चों का पूरा ध्यान रखा जाता है। लेकिन माता-पिता की भी कुछ जिम्मेदारियां हैं जिससे बच्चों का विकास होता है। 

माता पिता यह करें 

  • शिक्षक के सामने अपना व बच्चे का परिचय दें।
  • शिक्षक के समय की कद्र करें।
  • बच्चों के व्यवहार के बारे में शिक्षक से बात करें।
  • घर के वातावरण के बारे में बताएं।
  • मीटिंग में नियमित रूप से जाएं।
  • ई-मेल, मोबाइल के जरिए भी संपर्क में रहें।

शिक्षकों की भूमिका 
बच्चों के विकास में शिक्षकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। शिक्षा के शुरुआती दौर में बच्चों को घर जैसा माहौल देना जरूरी है। यह वह पड़ाव है, जहां से बच्चों का मानसिक विकास शुरू होता है। ऐसे में शिक्षकों को भी चाहिए की वे माता-पिता से लगातार संपर्क में रहें। इससे वे बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में कामयाब रहेंगे। 

शिक्षक यह करें 

  • हर बच्चे पर बराबर ध्यान दें।
  • बच्चे के व्यवहार को लेकर माता-पिता से चर्चा करें।
  • बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दें।
  • शिक्षा ऐसे दें कि बच्चे परिवार का सदस्य मानें।
  • गलत करने पर बच्चों को प्यार से समझाएं।
  • माता-पिता की शिकायत या सुझाव का सम्मान करें।

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