Ticker

6/recent/ticker-posts

पढ़िये शानदार रोमांटिक गीत 'प्यास जैसी थी वैसी बनी रह गयी'

 

अमर उजाला काव्य डेस्क नई दिल्ली Published by: काव्य डेस्क Updated Thu, 11 May 2023 05:44 PM IST
love poetry of kamal samant pyas jaisi thi waisi bani rah gayi
सोशल मीडिया - फोटो : Social Media
विज्ञापन
साथ जितना मिला हमको कम ही रहाTrending Videos
Trending Videosप्यास जैसी थी वैसी बनी रह गयीTrending Videos
Trending VideosTrending Videos
Trending Videosदोपहर की सुलगती हुई धूप मेंTrending Videos
Trending Videosहमने फेरे लगाये थे कितने यहाँTrending Videos
Trending Videosजानते हैं  ये पत्थर पड़े राह केTrending Videos
Trending Videosहमने मोती गिराये थे कितने यहाँTrending Videos
Trending Videosख़्वाब था एक वो ख़्वाब ही रह गयाTrending Videos
Trending Videosऔर जीने को बस ज़िंदगी रह गयीTrending Videos

था भरोसा मुझे  तुम मिलोगी कभी
आस का इक दिया मैं जलाता रहा
आँख सावन हुई याद जब जब किया
प्यास मन की मैं ऐसे बुझाता रहा
एक फ़साना मेरा अनकहा रह गया
एक कहानी मेरी अनसुनी रह गयी
विज्ञापन

अब समय आ गया है विदाई का तो
याद फिर आ गयी हैं वो बातें सभी
देख लेना कभी हम मिलेंगे नहीं
ये कसम खाई थी हमने झूठी कभी
इक महल बनने से पहले ही ढह गया
नींव बस हाशिये पर पड़ी रह गयी

साभार : कमल सामंत की फेसबुक वाॅल से
विज्ञापन
विज्ञापन
© 2017-2023 Amar Ujala Limited

Post a Comment

0 Comments