अमर उजाला काव्य डेस्क नई दिल्ली Published by: काव्य डेस्क Updated Thu, 11 May 2023 05:44 PM IST
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था भरोसा मुझे तुम मिलोगी कभी
आस का इक दिया मैं जलाता रहा
आँख सावन हुई याद जब जब किया
प्यास मन की मैं ऐसे बुझाता रहा
एक फ़साना मेरा अनकहा रह गया
एक कहानी मेरी अनसुनी रह गयी
आस का इक दिया मैं जलाता रहा
आँख सावन हुई याद जब जब किया
प्यास मन की मैं ऐसे बुझाता रहा
एक फ़साना मेरा अनकहा रह गया
एक कहानी मेरी अनसुनी रह गयी
अब समय आ गया है विदाई का तो
याद फिर आ गयी हैं वो बातें सभी
देख लेना कभी हम मिलेंगे नहीं
ये कसम खाई थी हमने झूठी कभी
इक महल बनने से पहले ही ढह गया
नींव बस हाशिये पर पड़ी रह गयी
साभार : कमल सामंत की फेसबुक वाॅल से
याद फिर आ गयी हैं वो बातें सभी
देख लेना कभी हम मिलेंगे नहीं
ये कसम खाई थी हमने झूठी कभी
इक महल बनने से पहले ही ढह गया
नींव बस हाशिये पर पड़ी रह गयी
साभार : कमल सामंत की फेसबुक वाॅल से
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