UTTAR PRADESH ASSEMBLY ELECTIONS 2022 IF EXIT POLLS BCAME TRUE THEN MANY RECORDS WILL BE BROKEN MYTHS WILL ALSO BE DESTROYED NODBK NODBK
प्रदेश में कई ऐसी सीटें हैं जिनके बारे में ये इतिहास रहा है कि यहां से जिस पार्टी का विधायक जीतता है, प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनती है. (फाइल फोटो)
UP Chunav: नोएडा के साथ साल 1985 से ये दुर्भाग्य जुड़ा हुआ है कि सीएम रहते जो भी नोएडा जाता है वो दोबारा सीएम नहीं बन पाता है. वीर बहादुर सिंह के समय से ये मिथक चलता आ रहा है. उनके बाद से जब भी किसी सीएम ने नोएडा की यात्रा की तो वो सत्ता में वापसी नहीं कर सका. ये मिथक नेताओं के मन में इस कदर घर कर गया था कि राजनाथ सिंह से लेकर अखिलेश यादव तक नोएडा जाने से बचते रहे और नहीं गये. यदि सूबे में फिर से भाजपा की सरकार बनती है और योगी आदित्यनाथ सीएम बनते हैं तो ये मिथक भी टूट जायेगा.
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- REPORTED BY :मनीष कुमार
- EDITED BY :बैंकटेश कुमार
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) खत्म हो गये हैं और असली नतीजे आने बाकी हैं. इस बीच एग्जिट पोल (Exit polls) में फिर से प्रदेश में भाजपा की सरकार (BJP Government) बनती दिख रही है. यदि ऐसा होता है तो ये अपने आप में एक नया इतिहास होगा. ये नया इतिहास अपने आप में कई नये रिकार्ड समेटे हुए भी होगा. तो आइये जानते हैं कि यदि एग्जिट पोल के नतीजे असली नतीजों से मैच कर गये तो कौम- कौन से मिथक टूटेंगे और कौन कौन से नये रिकार्ड बनेंगे.
1. 25 सालों के बाद फिर से रिपीट होगी सरकार
इससे पहले सिर्फ मायावती की सरकार ही रिपीट हुई थी. 1995 में जब मायावती की सरकार चली गयी थी उसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया था. फिर 1996 में चुनाव हुए. किसी को बहुमत नहीं मिला और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया. लेकिन 1997 में मायावती फिर से सीएम बनीं. तब भाजपा ने बसपा को समर्थन दिया था. उसके बाद से अब तक सीएम तो छोड़िए किसी पार्टी की सरकार तक रिपीट नहीं हुई है. यानी एग्जिट पोल सही सावित हुए तो ये पच्चीस सालों के बाद पहली बार होगा.
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2. पंचायत चुनाव में जीतने वाले की विधानसभा के चुनाव में हार होती रही है
कम से कम पिछले तीन चुनावों के तो नतीजे यही बताते हैं. जब बसपा सरकार में थी तब सबसे ज्यादा उसके जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे. साल 2010 में मायावती के नेतृत्व वाली बसपा की सरकार यूपी में थी. 20 सीटों पर निर्विरोध जीत के साथ करीब 60 सीटों पर बसपा के अध्यक्ष जीते थे. दो साल के भीतर 2012 में विधानसभा के चुनाव हुए और पहली बार पूर्ण बहुमत की बनी बसपा सरकार धराशायी हो गयी. सरकार बनी सपा की जिसके सबसे कम अध्यक्ष जीते थे. अखिलेश सरकार में भी सपा के सबसे ज्यादा जिला पंचायत अध्यक्ष जीते थे. लेकिन, विधानसभा चुनाव में सपा की हार हो गयी. पिछले साल 2021 में हुए पंचायत चुनाव में सबसे ज्यादा बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं. मिथक के मुताबिक, भाजपा की सरकार नहीं बननी चाहिए. लेकिन एग्जिट पोल सही सावित हुए तो ये मिथक टूट जायेगा.
3. नोएडा की बदलेगी किस्मत
नोएडा के साथ साल 1985 से ये दुर्भाग्य जुड़ा हुआ है कि सीएम रहते जो भी नोएडा जाता है वो दोबारा सीएम नहीं बन पाता है. वीर बहादुर सिंह के समय से ये मिथक चलता आ रहा है. उनके बाद से जब भी किसी सीएम ने नोएडा की यात्रा की तो वो सत्ता में वापसी नहीं कर सका. ये मिथक नेताओं के मन में इस कदर घर कर गया था कि राजनाथ सिंह से लेकर अखिलेश यादव तक नोएडा जाने से बचते रहे और नहीं गये. यदि सूबे में फिर से भाजपा की सरकार बनती है और योगी आदित्यनाथ सीएम बनते हैं तो ये मिथक भी टूट जायेगा.
4. बलिया की बेल्थरा रोड, मेरठ की हस्तिनापुर, कासगंज, इटावा की भरथना और लखनऊ के बख्शी का तालाब सीट भी जीतेगी भाजपा.
प्रदेश में कई ऐसी सीटें हैं जिनके बारे में ये इतिहास रहा है कि यहां से जिस पार्टी का विधायक जीतता है, प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनती है. सुल्तानपुर में सदर, कानपुर देहात, औरैया में बिधूना भी ऐसी ही सीटें हैं. अब जबकि एग्जिट पोल में भाजपा की सरकार बनती दिख रही है ऐसे में ये चर्चा तेज हो गयी है कि क्या उन सभी सीटों पर भी भाजपा के विधायक ही जीतेंगे.
5. एक्सप्रेस वे बनवाने वाली पार्टी की सरकार सत्ता से होती है बेदखल
यदि एग्जिट पोल के नतीजे सही सावित हुए तो ये मिथक भी इस बार टूट जायेगा. इसकी शुरुआत बसपा सरकार से हुई जब मायावती ने नोएडा से लेकर आगरा तक यमुना एक्सप्रेस वे बनवाया. एक्सप्रेस वे के पूरा होने से पहले ही बसपा की सरकार चली गयी. अखिलेश यादव ने आगरा – लखनऊ एक्सप्रेस वे बनवाया लेकिन, उनकी भी सरकार चली गयी. भाजपा सरकार ने भी अपने कार्यकाल में कई एक्सप्रेस वे बनवाये हैं. इनमें पूर्वांचल एक्सप्रेस वे सबसे अहम है. ऐसे में यदि भाजपा की सरकार फिर से बन जाती है तो ये मिथक भी टूट जायेगा.
6. 15 सालों के बाद विधानसभा का सदस्य बनेगा यूपी का सीएम
ये भी बड़ी चौंकाने वाली बात है कि पिछले 15 सालों से सूबे में उस व्यक्ति को सीएम बनने का सौभाग्य मिला है जिसने चुनाव नहीं लड़ा. चाहे 2007 से 2012 तक मायावती रही हों या फिर 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव या फिर 2017 से 2022 तक योगी आदित्यनाथ, कोई चुनाव लड़कर विधायक नहीं बना. बल्कि सभी बैकडोर इण्ट्री के जरिये विधान परिषद से विधायक बने. यदि एग्जिट पोल सही सावित हुए और योगी आदित्यनाथ फिर से सीएम बने तो 2003 में मुलायम सिंह के सीएम बनने के बाद ये पहला मौका होगा जब विधानसभा जीतकर कोई सीएम बनेगा.
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7. कांग्रेस के बाद पहली बार मिलेगा दोबारा प्रचण्ड बहुमत
जब कांग्रेस का जमाना था तभी ऐसा हुआ था कि प्रचण्ड बहुमत के साथ सरकार रिपीट हो गयी हो. यदि एग्जिट पोल सही होते हैं तो 1985 के बाद पहली बार ऐसा होगा. एग्जिट पोल में भाजपा को 220 से 280 तक सीटें दी जा रही हैं. 1985 में इतना बड़ा बहुमत या तो कांग्रेस सरकार को मिला था या फिर 2017 में भाजपा सरकार को मिला. अब दोबारायदि भाजपा 250 के आंकड़े को पार कर जाती है तो ये भी अपने आप में एक इतिहास होगा. इससे पहले अखिलेश यादव ने 224 और मायावती ने 206 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी थी.
यूपी विधानसभा चुनाव 2022, ब्रेकिंग हिंदी न्यूज़, लाइव न्यूज अपडेट सबसे पहले News18 India पर। आज की ताजा खबरें, विश्लेषण, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की खबरें पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी पर |
Tags:UP elections, Uttar Pradesh Assembly Election 2022, Uttar Pradesh Assembly Elections, Uttar pradesh news
UP ELECTION RESULTS 2022 EVM VOTES KI GINTI UTTAR PRADESH VIDHAN SABHA CHUNAV 2022 COUNTING PROCESS
UP Election Results: ईवीएम से कैसे गिने जाते हैं वोट? कितना लगता है वक्त? जानें मतगणना की पूरी प्रक्रिया
वोट काउंटिंग से पहले ईवीएम की प्रापर जांच की जाती है और देखा जाता है कि इससे कोई छेड़खानी तो नहीं हुई है.
यूपी चुनाव में बीजेपी और सपा अपनी प्रचंड जीत का दावा कर रही हैं. अब किसके दावे में कितना दम है यह तो गुरुवार सुबह साफ हो जाएगा, जब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से वोटों की गिनती (Vote counting) शुरू होगी. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस ईवीएम से आप वोट देते हैं, उसकी गिनती कैसे होती है? तो आज हम आपको वोटों की गिनती से जुड़ी पूरी प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं...
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- EDITED BY :SAAD BIN OMER
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election Results) के लिए कल यानी गुरुवार 10 मार्च को वोटों की गिनती होगी. यूपी चुनाव में बीजेपी और सपा अपनी प्रचंड जीत का दावा कर रही हैं. अब किसके दावे में कितना दम है यह तो गुरुवार सुबह साफ हो जाएगा, जब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से वोटों की गिनती (Vote counting) शुरू होगी. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस ईवीएम से आप वोट देते हैं, उसकी गिनती कैसे होती है? तो आज हम आपको वोटों की गिनती से जुड़ी पूरी प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं…
मतगणना केंद्र पर चुनाव अधिकारी, मतगणनाकर्मी, प्रत्याशी और उनके एजेंट, ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी और अन्य अधिकारिों की मौजूदगी में वोटों की गिनती होती है. सबसे पहले यहां पोस्टल बैलट की गिनती होती है और फिर उसके करीब 30 मिनट बाद स्ट्रॉन्ग रूम से कड़ी सुरक्षा के बीच ईवीएम लाए जाते हैं. ईवीएम को खोले जाने से पहले मतगणनाकर्मी और प्रत्याशी के एजेंट उसकी जांच करते हैं. जब सभी लोग ईवीएम की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हो जाते हैं तो वोटों की गिनती शुरू की जाती और इस पूरी प्रक्रिया की कैमरे से वीडियो रिकॉर्डिंग होती है.
ईवीएम से वोटों की गिनती कर रहे अधिकारियों और चुनावी एजेंट के बीच कंटीली तार रहती है, जिससे कि एजेंट उन मशीनों से दूर ही रहें. पूरी काउंटिंग राउंड्स यानी चरणों में होती है, जहां हर राउंड में 14 EVM खोली जाती हैं. आमतौर पर हर बूथ पर एक ईवीएम होती है और एक ईवीएम को करीब 1200 वोटर के लिए बनाया जाता है. औसतन हर बूथ पर करीब 750 से 850 वोट पड़ते हैं. इस हिसाब से हर राउंड में करीब 10 हजार से लेकर 12 हजार वोट गिने जाते हैं. इसी संख्या के आधार पर चुनाव आयोग ने हर राउंड में 14 EVM के वोट गिनने की नीति बनाई है.
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ऐसे में काउंटिंग हॉल में एक बाड़बंदी के भीतर 14-14 टेबल लगाए जाते हैं और हर टेबल पर एक EVM के वोट गिने जाते हैं. चुनाव अधिकारी इसके बाद मशीन का रुख मोड़ता है और रिजल्ट का बटन दबाता है, ताकि यह जानकारी मिल सके कि किसी उम्मीदवार को कितने वोट मिले हैं. इसके बाद यह जानकारी फॉर्म 17सी में डाली जाती है. इन फॉर्म्स पर उम्मीदवारों के चुनावी एजेंट दस्तखत करते हैं और फिर उसे निर्वाचन अधिकारी को सौंपते हैं. इसके बाद इसके नतीजे एक ब्लैक-वाइट बोर्ड पर लिखे जाते हैं और काउंटिंग एरिया के बाहर भी बताए जाते हैं. इसी को हम रुझान कहते हैं.
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एक चरण की गिनती पूरी होने के बाद चुनाव अधिकारी 2 मिनट का इंतजार करता है, जिससे कि किसी उम्मीदवार को कोई आपत्ति हो तो वो दर्ज करा सके. उम्मीदवारों की आपत्ती के बाद यह रिटर्निंग ऑफिसर पर निर्भर करता है कि वो फिर से वोटों की गिनती करवाता है या फिर उस उम्मीदवार को आश्वस्त करता है कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. हर राउंड के बाद रिजल्ट के बारे में रिटर्निंग ऑफिसर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इसकी सूचना देता है. यही सिलसिला तब तक जारी रहता है, जब तक कि अंतिम नतीजे नहीं आ जाते.
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Tags:UP Assembly Elections, UP Election EVM, Uttar Pradesh Assembly Election Result 2022
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