इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है
- अकबर इलाहाबादी
तुझ से किस तरह मैं इज़हार-ए-तमन्ना करता
लफ़्ज़ सूझा तो मआ'नी ने बग़ावत कर दी
- अहमद नदीम क़ासमी
कीजे इज़हार-ए-मोहब्बत चाहे जो अंजाम हो
ज़िंदगी में ज़िंदगी जैसा कोई तो काम हो
- प्रियंवदा सिंह
हाल-ए-दिल क्यूँ कर करें अपना बयाँ अच्छी तरह
रू-ब-रू उन के नहीं चलती ज़बाँ अच्छी तरह
- बहादुर शाह ज़फ़र
एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
- जोश मलीहाबादी
और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-ख़ामोशी
हम अपनी राय का इज़हार करना चाहते हैं
- सलीम कौसरदिल पे कुछ और गुज़रती है मगर क्या कीजे
लफ़्ज़ कुछ और ही इज़हार किए जाते हैं
- जलील ’आली’
ज़बान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती
किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता
- अज़ीज़ लखनवीइज़हार-ए-हाल का भी ज़रीया नहीं रहा
दिल इतना जल गया है कि आँखों में नम नहीं
- इस्माइल मेरठी
करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम
मुझे तो और कोई काम भी नहीं आता
- ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
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