मास्को
रूस में भीषण ठंड के बीच स्विमसूट में आइस स्केटिंग करती लड़कियों का वीडियो खूब वायरल हो रहा है। यह वीडियो सोची शहर में आयोजित बूगेल वोगेल उत्सव के दौरान का बताया जा रहा है। इस उत्सव में हर साल सैकड़ों की संख्या में रूसी लड़कियां बिकनी पहनकर हिस्सा लेती हैं। इस साल कोरोना महामारी के बीच आयोजित इस फेस्टिवल में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए हैं।
बिकनी पहनकर बर्फीले पानी में कूद रही लड़कियां
सोशल मीडिया में जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, उनमें रूसी लड़कियां बिकनी पहने और लड़के हाफ पैंट में आइस स्केटिंग करते नजर आ रहे हैं। वे स्नो बोर्ड के सहारे स्की रिसॉर्ट की ढलान पर तेजी से उतरते हुए आखिरी में बर्फीले पानी में कूद जाते हैं। इस दौरान ट्रैक के किनारे खड़े लोग प्रतिभागियों का उत्साह भी बढ़ाते दिखाई देते
रूस में भीषण ठंड के बीच स्विमसूट में आइस स्केटिंग करती लड़कियों का वीडियो खूब वायरल हो रहा है। यह वीडियो सोची शहर में आयोजित बूगेल वोगेल उत्सव के दौरान का बताया जा रहा है। इस उत्सव में हर साल सैकड़ों की संख्या में रूसी लड़कियां बिकनी पहनकर हिस्सा लेती हैं। इस साल कोरोना महामारी के बीच आयोजित इस फेस्टिवल में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए हैं।
बिकनी पहनकर बर्फीले पानी में कूद रही लड़कियां
सोशल मीडिया में जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, उनमें रूसी लड़कियां बिकनी पहने और लड़के हाफ पैंट में आइस स्केटिंग करते नजर आ रहे हैं। वे स्नो बोर्ड के सहारे स्की रिसॉर्ट की ढलान पर तेजी से उतरते हुए आखिरी में बर्फीले पानी में कूद जाते हैं। इस दौरान ट्रैक के किनारे खड़े लोग प्रतिभागियों का उत्साह भी बढ़ाते दिखाई देते
सोशल मीडिया में शुरू हुई जंग
वहीं इन वीडियो को लेकर रूसी सोशल मीडिया में भी जंग शुरू हो गई है। बड़ी संख्या में ऑनलाइन यूजर्स ऐसे फेस्टिवल की आलोचना कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह सभ्य समाज का हिस्सा नहीं है। वे यह भी सवाल पूछ रहे हैं कि कोरोना काल में लोग इतनी बड़ी संख्या में एक जगह एकत्रित होकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां क्यों उड़ा रहे
वहीं इन वीडियो को लेकर रूसी सोशल मीडिया में भी जंग शुरू हो गई है। बड़ी संख्या में ऑनलाइन यूजर्स ऐसे फेस्टिवल की आलोचना कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह सभ्य समाज का हिस्सा नहीं है। वे यह भी सवाल पूछ रहे हैं कि कोरोना काल में लोग इतनी बड़ी संख्या में एक जगह एकत्रित होकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां क्यों उड़ा रहे
बचाव में भी उतरे लोग
ऐसा नहीं है कि रूस के सोशल मीडिया में ऐसे फेस्टिवल की केवल आलोचना ही की जा रही है। ऐसे भी लोगों की अच्छी खासी संख्या है जो ऐसे पारंपरिक खेलों का बचाव करते दिखाई दे रहे हैं। उनका मानना है कि यह परंपरा है और इसे हर साल आयोजित किया जाता है। ऐसे में किसी को भी ऐसे आयोजनों की आलोचना नहीं करनी चाहिए।
ऐसा नहीं है कि रूस के सोशल मीडिया में ऐसे फेस्टिवल की केवल आलोचना ही की जा रही है। ऐसे भी लोगों की अच्छी खासी संख्या है जो ऐसे पारंपरिक खेलों का बचाव करते दिखाई दे रहे हैं। उनका मानना है कि यह परंपरा है और इसे हर साल आयोजित किया जाता है। ऐसे में किसी को भी ऐसे आयोजनों की आलोचना नहीं करनी चाहिए।
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